जहर लेखनी कविता प्रतियोगिता -19-Sep-2024
जहर
जहर को पूछ बैठा
कितना जहर तुझ में
हँसा मुस्कुराया बोला
ए मानव रत्ती भर
क्या मुकाबला तेरा मेरा
रग रग में हर शब्द में
जहर तुझ में
जहर दांतो में जिनके
बचाव असंभव है उनसे
ए मानव तेरे जहर से
कैसे कोई बच पाएगा
सरोकार मेरा मानवता से
दवा बन पीड़ा हरता हूं
क्या उम्मीद रखूं तुझसे
अपनों को ही तू डसता है
तेरे मीठे शब्दों से
मैं भी डरता हूं
मौत भली तुमसे
वफा तो निभाती है
टूटता है जब कोई भला मानुष
सोचता है
मेरा कत्ल कैसे हुआ
बता भले मानुष
जहर तुझ में है या मुझ में
जहर तुझ में है या मुझ में
मौलिक रचना
उदयवीर भारद्वाज
भारद्वाज भवन
मंदिर रोड कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश
मोबाइल नंबर 94181 87726
Babita patel
17-Jan-2025 07:14 PM
👌👌
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kashish
29-Sep-2024 01:16 PM
V nice
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madhura
22-Sep-2024 11:23 AM
Amazing
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